वर्तमान वित्त वर्ष में कैसे करें टैक्स बचत

अधिकांश नियोक्ताओं ने टीडीएस कटौती के लिए अपने कर्मचारियों से टैक्स बचत के लिए किए जाने वाले निवेश का ब्योरा माँगना प्रारंभ कर दिया है। साथ ही प्रोफेशनल एवं व्यापारी वर्ग को भी अपनी टैक्स देयता का अनुमान लगाकर समय-समय पर एडवांस टैक्स अदा करना है। ऐसे में समय आ गया है कि हम टैक्स प्लानिंग कर लें।

हम सभी जानते हैं कि अधिकांश टैक्स बचत के लिए किए जाने वाले निवेश में लंबी अवधि की बाध्यता होती है। जैसे यदि हम बचत के लिए कोई इंश्योरेंस पॉलिसी लेते हैं एवं उसकी अवधि 10 वर्ष है तो हमें 10 वर्षों तक प्रत्येक वर्ष उसकी प्रीमियम अदा करना होगी।

टैक्स बचत के साधनों में लंबी अवधि की बाध्यता होने के कारण इस वर्ष हमें प्लानिंग काफी सतर्कतापूर्वक करने की आवश्यकता है, क्योंकि डायरेक्ट टैक्स कोड (डीटीसी) लागू होना प्रस्तावित है। प्रस्तावित डायरेक्ट टैक्स कोड (डीटीसी) में टैक्स बचत के साधनों में भारी फेरबदल किया गया है। अतः इस वर्ष प्लानिंग के लिए हमें वर्तमान टैक्स स्लेब एवं टैक्स प्रावधानों के साथ प्रस्तावित डायरेक्ट टैक्स कोड (डीटीसी) के प्रावधानों को भी समझना आवश्यक है।

उल्लेखनीय है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष 2011-12 में महत्वपूर्ण बदलाव कर वरिष्ठ नागरिक की आयु पात्रता 65 वर्ष से घटाकर 60 वर्ष कर दी गई है। साथ ही 80 वर्ष या अधिक आयु के व्यक्तियों को अति वरिष्ठ नागरिक का दर्जा दिया गया है। इसके तहत उन्हें रु. 5,00,000 तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा।

* धारा 80 सीसीएफ के तहत व्यक्तिगत एवं एचयूएफ करदाता इंफ्रास्ट्रक्चर बांड में निवेश पर अधिकतम     20 हजार रुपए की छूट प्राप्त कर सकते हैं। यह छूट धारा 80 सी, 80 सीसीसी एवं 80 सीसीडी के तहत प्राप्त हो रही एक लाख रुपए की छूट के अतिरिक्त है।

प्रस्तावित डायरेक्ट टैक्स कोड के प्रावधानों के तहत यह छूट प्राप्त नहीं की जा सकेगी।

* धारा 80 डी के तहत स्वयं, पत्नी एवं बच्चों की मेडिक्लेम पॉलिसी की सालाना प्रीमियम (अधिकतम 15 हजार रुपए) की छूट प्राप्त की जा सकती है। साथ ही, माता-पिता की मेडिक्लेम पॉलिसी की भी सालाना प्रीमियम (अधिकतम 15 हजार रुपए) की छूट प्राप्त की जा सकती है। सीनियर सिटीजन की दशा में यह छूट अधिकतम 20 हजार रुपए तक प्राप्त की जा सकती है।

प्रस्तावित डायरेक्ट टैक्स कोड के प्रावधानों के तहत जीवन बीमा प्रीमियम (बीमाधन का 5% से अधिक नहीं), मेडिक्लेम प्रीमियम एवं बच्चों की ट्यूशन फीस मिलाकर अधिकतम 50 हजार रुपए की ही छूट प्राप्त की जा सकेगी।

* धारा 80 डीडी के तहत व्यक्तिगत एवं एचयूएफ करदाता असक्षम आश्रित के मेडिकल ट्रीटमेंट आदि पर यदि खर्च करते हैं या उसके लिए अनुमोदित फंड में निवेश करते हैं तो आश्रित के सामान्य असक्षमता की स्थिति में 50 हजार रुपरए एवं गंभीर असक्षमता की स्थिति में एक लाख रुपए की छूट प्राप्त की जा सकती है।

प्रस्तावित डायरेक्ट टैक्स कोड के प्रावधानों के तहत भी यह छूट प्राप्त की जा सकेगी।

* धारा 80 डीडीबी के तहत व्यक्तिगत एवं एचयूएफ करदाता स्वयं अपने या आश्रित की उक्त धारा में उल्लेखित बीमारी के उपचार पर यदि कोई खर्च करते हैं तो उस दशा में अधिकतम 40 हजार रुपए तक की छूट प्राप्त की जा सकती है। सीनियर सिटीजन की दशा में यह छूट 60 हजार रुपए तक प्राप्त की जा सकती है।

प्रस्तावित डायरेक्ट टैक्स कोड के तहत भी यह छूट प्राप्त की जा सकेगी।

* धारा 80 ई के तहत व्यक्तिगत करदाता स्वयं, जीवनसाथी या बच्चों की उच्च शिक्षा के लोन पर चुकाए गए ब्याज की छूट प्राप्त कर सकते हैं।

प्रस्तावित डायरेक्ट टैक्स कोड के तहत भी यह छूट प्राप्त की जा सकेगी।

* धारा 80 जी के तहत कोई भी करदाता चेरिटेबल संस्था/कोष को दान देता है तो निर्धारित सीमा तक छूट प्राप्त की जा सकती है।

प्रस्तावित डायरेक्ट टैक्स कोड के तहत भी छूट प्राप्त की जा सकेगी।

* धारा 80 जीजी के तहत व्यक्तिगत करदाता यदि मकान किराया अदा कर रहा है एवं उसे हाउस रेंट अलॉएन्स (एचआरए) नहीं मिल रहा है तो अधिकतम दो हजार रुपए प्रतिमाह की छूट भी प्राप्त की जा सकती है।

प्रस्तावित डायरेक्ट टैक्स कोड के तहत भी यह छूट प्राप्त की जा सकेगी।

* धारा 80 यू के तहत व्यक्तिगत करदाता, स्वयं यदि सामान्य असक्षम है तो 50 हजार रुपए एवं गंभीर असक्षमता की स्थिति में एक लाख रुपए की छूट प्राप्त कर सकता है।

प्रस्तावित डायरेक्ट टैक्स कोड के तहत भी यह छूट प्राप्त की जा सकेगी।